गुप्‍त गोदावरी- जो आज भी अबूझ पहेली बनी है

गुप्‍त गोदावरी- जो आज भी अबूझ पहेली बनी है

Thursday, September 3, 2020

चित्रकूटधाम में अधर्म लीला* ( भाग एक)

 - चार किलोमीटर प्रतिबंधित है मादक पदार्थो की बिक्री

*- रामघाट,निर्मोही तिराहा, चोगलिया बाजार,पुराना बस स्टैंड,रामायण मेला के सामने व पीछे,रैन बसेरा के अंदर व बाहर,शिवरामपुर रोड, मलकाना रोड,कालकन मन्दिर के पास में बिक रही शराब व गांजा*

*- हर मोहल्ले में मौजूद है सट्टे का बुकी* *नयागांव,खटकाना,मलकाना,तीर्थराजपुरी के तराई के इलाके में उतर रही है कच्ची शराब*


*करोना काल चल रहा है। करोना से बचने के लिए गाइड लाइन दो गज की दूरी,मास्क और सेनेटाइजर जरूरी का नारा तेजी से चल रहा है। इसी काल मे बाजार के कारीगरों ने एक अच्छा और सुगम व्यवसाय खोज निकाला है। यह व्यवसाय है सेनेटाइजर की अधिकता वाली शराब की बिक्री का। इस व्यवसाय से न केवल पुलिस व आबकारी विभाग को फायदा हो रहा है बल्कि   सरकार को राजस्व की प्राप्ति भी हो रही है। तीर्थनगरी में प्रतिबंध के बाद भी लगभग एक दर्जन स्थानों पर अंग्रेजी व देशी शराब की बिक्री की जा रही है। नदी के तराई वाले इलाकों पर कच्ची महुआ व बेशरम से बनी शराब उतारी भी जा रही है*

चित्रकूट तीर्थ नगरी है। यहाँ पर मांस,मछली,अंडा और शराब की बिक्री पर प्रतिबंध है। वैसे चित्रकूट के जिला बनने के बाद प्रतिबन्ध की दूरी कम कर दी गई थी। बांदा जिला से कर्वी व मऊ तहसीलों को काटकर 2007 में शाहू जी महाराज नगर के नाम से जिला बनाया गया। 2000 में कल्याण सिंह के शासन में चित्रकूट को दो अहम पड़ाव मंडल व जिले के रूप में मिले।

 2005 में तीर्थनगरी से मादक पदार्थो की बिक्री की दूरी घटाकर 10 की बजाय 5 किलोमीटर कर दी गई। लिहाजा नई दुनिया मे बिकने वाली शराब बेडीपुलिया तक सिमट आई। वैसे कर्वी कोतवाली के अंतर्गत कच्ची शराब डेलोरा से लेकर बंधोइन तक कई स्थानों पर उतारी जाती रही है। 

कोरोना काल के कुछ समय पहले से तीर्थनगरी में कई स्थानों पर कच्ची शराब उतरना शुरू हुई तो उनकी बिक्री भी शहर के एक दर्जन स्थानों पर चल रही है। इसके साथ ही स्मैक व अंग्रेजी शराब भी आराम से इसके शौकीनों को मिल रही है। सट्टा का खेल बदस्तूर जारी है तो गांजा (मारिजुआना) की लगभग आधा दर्जन स्थानों पर बिक रहा है।

*मादक पदार्थो की बिक्री वाले स्थान*

*🩸रामघाट,निर्मोही तिराहा, चोगलिया बाजार,पुराना बस स्टैंड,रामायण मेला के सामने व पीछे,रैन बसेरा के अंदर व बाहर,शिवरामपुर रोड, मलकाना रोड,कालकन मन्दिर के पास में शराब व गांजा*

*हर मोहल्ले में मौजूद है सट्टे का बुकी* *नयागांव,खटकानामालकाना,तीर्थराजपुरी के तराई के इलाके में उतरती है कच्ची शराब*

*कार्यवाही के नाम पर शून्य*

पुलिस प्रवक्ता के अनुसार सीतापुर चौकी क्षेत्र में मादक पदार्थो के खिलाफ बहुत दिनों से कोई बड़ी उल्लेखनीय कार्यवाही नही हुई है।

Wednesday, February 22, 2017

मीठी यादों के साथ विदा हुआ नृत्य का विशेष उत्सव


                                    खजुराहो की नृत्‍य भरी शाम
 नटराज के शिष्य परंपरा से जुड़े मनीषियों की प्रस्तुतियों से सजे खजुराहो नृत्य महोत्सव के सात दिन आखिर विदा हो गए। निर्वाण थ्रू डांस की निर्माता और नृत्य भारती, कामायनी, क्लासिकल डांसेज आफ इंडिया सहित तमाम फिल्मों में अभिनय कर चुकी उमा डोगरा के कथक नृत्य की प्रस्तुति इस नृत्य महोत्सव की अंतिम प्रस्तुति बनी। मंगलवार की रात लगभग 9.20 बजे से चालीस मिनट का उनका भावपूर्ण नृत्य लोगों के लिए यादगार बन गया। उमा डोगरा ने खुद कहा कि यह उनके जीवन की सर्वश्रेष्ठ प्रस्तुति रही। उन्होंने कहा कि वैसे तो उन्होंने देश विदेश के तमाम स्टेजों पर अपना नृत्य प्रस्तुत किया पर यहां पर तो ऐसा लग रहा था कि देवाधिदेव भोले नाथ खुद ही उनका नृत्य देख रहे थे। गीत गोविंद की रचनाओं पर आधारित नृत्य नाटिकाओं में प्रस्तुत किया जाने वाला मार्मिक अभिनय सजीव रहा। देशी और विदेशी पर्यटकों व स्थानीय लोगों की तालियां लम्बे समय तक बजती रहीं।

इसके पूर्व मध्य प्रदेश राज्य पर्यटन विकास निगम के अधिकारी व स्थानीय अधिकारियों ने घोषणा की कि खजुराहो डांस फेस्टिवल अगले पांच वर्षो तक 20 से 26 फरवरी को ही होगा। कार्यक्रम का शुभारंभ निरुपमा एवं राजेन्द्र की समकालीन नृत्य प्रस्तुति से हुआ। तमाम सम्मानों को प्राप्त करने वाली इस जोड़ी ने भरत नाट्यम की प्रस्तुति के दौरान कई बार दर्शकों की आंखों में आंसू ला दिए।

इसके बाद पद्मभूषण गुरु केलुचरण महापात्र की शिष्या ओडिसी नृत्यांगना आलोका कानूनगो ने नृत्य के दौरान श्री कृष्ण और राधा के साथ गोपियों की रास लीला के दर्शन कराए। खजुराहो डांस फेस्टिवल की अंतिम शाम में विदेशी और देशी पर्यटकों के साथ ही स्थानीय लोग भारी संख्या में मौजूद रहे।

Sunday, July 14, 2013

दो घंटे की बरसात से भरा 8 फिट गहरा तालाब

महोबा, स्टाफ रिपोर्टर: जल संरक्षण के लिए दूसरों को नसीहत देने के पहले एसपी ललित कुमार सिंह ने वह कर दिखाया जिसके कारण अब वह हर मिलने वाले को पानी बचाने के लिए तैयार करने का काम कर रहे हैं। बात बहुत पुरानी नही है, लगभग डेढ़ महीने पहले यहां पर आए पुलिस कप्तान ने देखा कि पानी की भारी किल्लत है। शहर में पानी की किल्लत के कारण लोग रात रात जागकर पानी भरने के काम करते हैं। ऐसे में उन्होंने जब सुना कि मुख्यमंत्री ने यहां के तालाबों को पुर्नजीवन देने के लिए घोषणाएं की हैं, और डीएम खुद भी किसानों के पास जा जाकर उन्हें तालाब खोदने के लिए प्रेरित कर रहे हैं तो उन्होंने पुलिस लाइन में पूर्व कप्तान देवी सिंह अशोक के द्वारा खुदवाए गए छोटे से तालाब पर काम लगवा दिया और तीन दिनों के अंदर गुरदयाल सिंह कटियार ने एक बड़े तालाब की शक्ल देकर खुदवा दिया। इसको बनाने के साथ ही पुलिस लाइन की अधिकांश जमीन का स्लोप इस तालाब में कर दिया। इसके लिए पूरी लाइन में पक्की नालियों का भी निर्माण कराया गया। सबसे सुखद बात यह रही कि 18 जून को बरसे दो घंटे के तेज पानी में यह तालाब लबालब भर गया। जिसके कारण इसको देखकर सभी को हैरत हो रही है। तालाब में पानी भरते देखकर एसपी ललित कुमार सिंह अब अपने पास आने वाले हर एक व्यक्ति को पानी के संरक्षण के लिए न केवल प्रेरित कर रहे हैं बल्कि उसे बताने का प्रयास भी करते हैं कि जब एक बरसात से एक तालाब भर सकता है तो बाकी के तालाब क्यों नहीं। केवल लगन के साथ सभी को लगने की अवश्यकता है फिर किसी भी गांव में पीने व सिंचाई के पानी की आवश्यकता नही रहेगी। वह बताते हैं कि जल्द ही इस तालाब में पैडल वोट डलवाने के साथ ही कमल लगवाया जाएगा। साथ ही तालाब के बगल में खाली जमीन पर नव गृह व नक्षत्र वाटिका भी बनाई जाएगी। जिससे आम लोगों को पौधों को संरक्षित करने के बारे में प्रेरणा मिले।

झूमकर बरसी बरखा ने दी तालाबों को संजीवनी

संदीप रिछारिया, महोबा: कम से कम अब तो पानी के लिए सिर नहीं फूटेंगे, अगर यही हाल रहा है तो इस साल क्या आने वाले कई सालों तक महोबा में पानी के लिए किच किच नही होगी। यह और कुछ ऐसे ही जुमले लोगों के मुंह से अनायास ही निकल रहे हैं। इस बार तो पानीदार बुंदेलों को पानी ने भी अपनी पानीदारी दिखा दी है। केवल जून महीने के 12 दिनों के भीतर ही 340 मिमी बारिश रिकार्ड की गई है। इस बारिश के चलते जहां जिले में मौजूद लगभग हर जलाशय की शक्ल बदली सी दिखाई दे रही है, वहीं जिलाधिकारी की पहल पर खोदे गए नए खेत तालाब भी पानी से लबालब भरे दिखाई दे रहे हैं। सिचाई विभाग के तार बाबू नारायण सिंह की मानें तो इस बार की बरसात वास्तव में सुकून देने वाली हो रही है। हो सकता है कि वर्ष 2003 के बाद इस साल सभी तालाब व बंधे पूरी क्षमता से भर जाएं। उन्होंने पिछले साल 600 मिमी पानी गिरा था, वरना पिछले 9 सालों में कभी भी बरसात 500 मिमी से ऊपर हुई ही नहीं। वैसे उस बरसात से कोई ज्यादा फायदा नही मिला, क्योंकि एक दिन में 50 मिमी पानी गिरने के बाद पन्द्रह दिनों के सूखे और तेज धूप ने उस पानी को उड़ा दिया। वह बताते हैं कि अभी शहर के बीजा सागर व कीरत सागर दो ही तालाब हैं जो डेड स्टोरेज के आसपास हैं। इसके अलावा मदन सागर, कल्याण सागर, दसरापुर, अर्जुन बांध, चंद्रावल बांध, कबरई बांध, मझगंवा बांध, उर्मिल बांध, बेलासागर, थाना तालाब, उरवारा तालाब, रैपुरा तालाब, सलारपुर तालाब, रहलिया तालाबों में पानी डेड स्टोरेज क्षमता से आगे बढ़कर दो फिट से लगाकर 8 फिट तक आ चुका है। पानी का लगातार बरसना सुकून दे रहा है। जून के महीने में ही इतनी अच्छी बरसात हो गई है कि नए तालाबों के साथ ही पुराने तालाबों को जल की संजीवनी मिल गई। इस बार नए खेत तालाब खुदवाने का लक्ष्य 100 का था। लगभग सभी तालाबों में भरपूर पानी आ गया है। इससे न केवल किसानों को फायदा मिलेगा बल्कि जलस्तर भी बढे़गा। आने वाले वषरें में किसान और भी तालाब बनाएंगे। जिससे महोबा की पानीदारी और बढ़ सके।-अनुज कुमार झा, डीएम तालाबों में पानी की स्थिति .. 1 जुलाई मदन सागर - 5.25 फिट कीरत सागर- डेढ स्टोरेज. लगभग दस फिट पानी कल्याण सागर- 5 बीजासागर- डेढ स्टोरेज दसरापुरा- 6 उरवारा तालाब- 3 रैपुरा तालाब- 8 थाना तालाब- 2 सलारपुर तालाब- 2 फिट रहलिया तालाब- 3 फिट अर्जुन बांध- 179.79 मीटर चंद्रावल बांध - 148.74 मीटर कबरई बांध- 149.04 मीटर मझगवां बांध -217.93 मीटर उर्मिल बांध- 230.00 मीटर

चारागाहों से जल्द हटवाया जाएगा अतिक्रमण

महोबा, स्टाफ रिपोर्टर: जल्द ही अभियान चलाकर सार्वजनिक चारागाहों को न केवल अतिक्रमणकारियों से मुक्त कराया जाएगा, बल्कि उनकी सुरक्षा के लिए बाउंड्रीवाल व तार बाढ़ से बंद भी कराया जाएगा। यह बातें जिलाधिकारी अनुज कुमार झा ने डीएम कार्यालय के पीछे स्थित पौराणिक स्थल श्री राम कुंड आश्रम की गौशाला का हाल सुनने के बाद कही। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक गौशालाओं की जमीनों पर केवल गौवंश का अधिकार है। इन जमीनों को न केवल खाली कराया जाएगा बल्कि उनकी सुरक्षा की भी पूरी व्यवस्था की जाएगी। चारागाहों की जमीनों के साथ ही गौशालाओं के सही संचालन के लिए समाज के लोगों व अधिकारियों केएक समिति बनाकर संचालन किया जाएगा। शुक्रवार को दोपहर श्री राम कुड के अत्यंत वृद्ध महंत ने जिलाधिकारी को बताया कि आश्रम की गौशाला का हाल काफी खराब है। अराजकतत्व यहां पर हर गलत काम करते हैं और मना करने पर मारते हैं। उन्होंने बताते हुए कहा कि साहब जिंदगी बीत गई, नागा साधू हैं, कभी किसी से कुछ मांगा नहीं, अब अराजक तत्वों द्वारा अपमान सहन नहीं होता, आप इस आश्रम को अपने पजेशन में लें लें तो अति दया होगी, मेरी इच्छा यह है कि कम से कम एक बार आप आश्रम को देख तो लें। डीएम अनुज कुमार झा ने कहा कि गौशाला का हाल खराब है तो यह निसंदेह चिंता का विषय है। उन्होंने आश्रम में आने की बात करते हुए कहा कि जिले की सभी गौशालाओं में भूसा व चारे की व्यवस्था के मुकम्मल इंतजाम किए जा रहे हैं। कहा कि सार्वजनिक चारागाहों की जमीनों को तार बाढ़ से बंद करवाकर उसका उपयोग समाज के लोगों व अधिकारियों की संयुक्त कमेटी से करवाया जाएगा। इस दौरान नरसिंह कुटी के महंत विश्वम्भर दास व आल्हा परिषद के अध्यक्ष शरद तिवारी ने बताया कि यह स्थान रामायण काल का है। यहां के कुंड का पानी तमाम बीमारियों को दूर करता है। गौशाला में गायों की कम होती संख्या का कारण उन्हें कसाईखाने में भेजा जाना है। डीएम ने इस प्रकरण पर गंभीरता से विचार कर कार्यवाही करने की बात कही।

गायब हो गई 636 एकड़ जमीन

संदीप रिछारिया, महोबा: शासन की ओर से लगातार पत्र पर पत्र आ रहे हैं कि बालिकाओं की शिक्षा व्यवस्था ठीक करने के लिए हर ब्लाक में कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय खोले जाएं, खुद का भवन बनवाया जाए, पर जैतपुर ब्लाक में एक अदद भवन के लिए जमीन नही मिल रही है। सवाल खड़ा होता है कि आखिर सार्वजनिक चारागाह की 636.98 एकड़ जमीन कहां गायब हो गई? वैसे इस सवाल का जवाब वर्षो पहले जिला शासकीय अधिवक्ता (राजस्व) द्वारा तत्कालीन डीएम को नाम और नम्बर सहित देकर बताया गया था कि इस जमीन पर लगभग 123 लोग कब्जा कर बकायदा उसकी फसल का उपयोग कर रहे हैं, तथा कई जमीनों पर तो पक्के मकान भी खड़े हो चुके हैं। वैसे यह जानकारी उन्होंने अपने आप नहीं बल्कि एक आरटीआई के जबाब में दी थी। लगभग दो साल बीत जाने के बाद भी इन जमीनों को अनाधिकृत रूप से कब्जे करने वालों से मुक्त कराना मुनासिब नही समझा गया। इस प्रकरण की आरटीआई डालने वाले वरिष्ठ नागरिक जीवन लाल चौरसिया कहते हैं कि सार्वजनिक भूमि को मुक्त कराने के पीछे जिला प्रशासन की मंशा ही स्पष्ट नही है, क्योंकि जमीनों पर कब्जे नौकरशाहों और सफेदपोश नेताओं व माफियाओं ने मिलकर किए गए हैं। चारागाह की जमीनों पर पट्टे कराकर लोग पेट्रोल पम्प के साथ आलीशान मकान बन चुके हैं। वह कहते हैं कि जमीनों की इंतखाब खतौनी में स्पष्ट तौर पर लिखा गया है कि यह जमीनें श्रेणी (5)(3) स्थाई गौचर भूमि और चराई की अन्य भूमियों में आती है। इसका पट्टा किसी प्राइवेट व्यक्ति को किया ही नहीं जा सकता। उन्होंने बताया कि खतौनी खाता संख्या 1449 सन् 1378 लगायत 1380 के बाद किन खातेदारों के नाम अंकित हुई है, इनके संबंध में आख्या मंगवाने की गुजारिश खुद शासकीय अधिवक्ता ने की थी और उन्होंने इसके लिए बकायदा चारागाह में खाते अंकित कराने के लिए मुकदमा चलाने की अनुमति भी चाही थी, पर हुआ कुछ नहीं। 0-------------------- जानकारी मिली है, इसकी पूरी जांच करवाई जाएगी और दोषियों को सजा दिलवाने के साथ सार्वजनिक भूमि को अभियान चलाकर कब्जों से मुक्त कराया जाएगा।-अनुज कुमार झा, डीएम।

Friday, March 29, 2013

पैरों की लयात्मकता में बरसा संगीत

महोबा, स्टाफ रिपोर्टर : विलक्षण. अद्भुत की आवाजों के साथ ही तालियों की गड़गड़ाहट .. जी हां, खजुराहो के चंदेली मंदिर समूह के ओपन सभागार में जैसे ही घुंघरूओं से बंधे पैरों की लयात्मकता बढ़ी वैसे ही उपस्थित लोगों के हाथों से तालियों की गूंज सुनाई देने लगी। उमा सत्यनारायण की वरिष्ठ शिष्या माने जाने वाली अन्वेषा दास के द्वारा भरतनाट्यम नृत्य के दौरान 'अरंगेत्रम' के दौरान तो लोग मंत्र मुग्ध हो गए, ऐसा लगा कि सैकड़ों लोग सांस रोककर नृत्य का आनंद ले रहे हैं।

ओडिसा की रहने वाली चेन्नई में पली बढ़ी अन्वेषा दास के नृत्य की विशेषता उनका भाव प्रवण अभिनय था। इसके पश्चात ओडिसी के सुविख्यात गुरु केलु चरण महापात्र, कुमकुम मोहन्ती, मायाधर राउत के शिष्य पूर्णा श्री राउत व लकी मोहंती ने जब युगल नृत्य प्रस्तुत किया तो उसमें उड़िया छाप साफ दिखाई दी। नृत्य में भगवान जगन्नाथ की आराधना साफ झलकी। मुद्राओं और चितवन के साथ पैरों की थिरकन बिलकुल तबले की थापें गिनी जा सकती थी। इस बीच बलभद्र और सुभद्रा का संवाद भी काफी सराहा गया। डा. वेंकट वेम्पति व वेम्पति रवि शंकर का कुचिपुड़ी नृत्य न केवल आकर्षक मुद्राओं के लिए दर्शनीय बना बल्कि उनका जोश और पथ संचलन दर्शकों की तालियों का कारण बना। खजुराहो नृत्य उत्सव की अंतिम प्रस्तुति के दौरान दर्शकों का उत्साह इतना बढ़ा कि वह लोग खड़े होकर देर तक तालियां बजाते रहे। स्थानीय दर्शकों के अलावा फ्रांस, जर्मनी, चेकोस्लाविया, नामीबिया, ब्राजील के अलावा तमाम देशों के दर्शक मौजूद रहे।