Sunday, July 14, 2013
गायब हो गई 636 एकड़ जमीन
संदीप रिछारिया, महोबा: शासन की ओर से लगातार पत्र पर पत्र आ रहे हैं कि बालिकाओं की शिक्षा व्यवस्था ठीक करने के लिए हर ब्लाक में कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय खोले जाएं, खुद का भवन बनवाया जाए, पर जैतपुर ब्लाक में एक अदद भवन के लिए जमीन नही मिल रही है। सवाल खड़ा होता है कि आखिर सार्वजनिक चारागाह की 636.98 एकड़ जमीन कहां गायब हो गई? वैसे इस सवाल का जवाब वर्षो पहले जिला शासकीय अधिवक्ता (राजस्व) द्वारा तत्कालीन डीएम को नाम और नम्बर सहित देकर बताया गया था कि इस जमीन पर लगभग 123 लोग कब्जा कर बकायदा उसकी फसल का उपयोग कर रहे हैं, तथा कई जमीनों पर तो पक्के मकान भी खड़े हो चुके हैं। वैसे यह जानकारी उन्होंने अपने आप नहीं बल्कि एक आरटीआई के जबाब में दी थी। लगभग दो साल बीत जाने के बाद भी इन जमीनों को अनाधिकृत रूप से कब्जे करने वालों से मुक्त कराना मुनासिब नही समझा गया।
इस प्रकरण की आरटीआई डालने वाले वरिष्ठ नागरिक जीवन लाल चौरसिया कहते हैं कि सार्वजनिक भूमि को मुक्त कराने के पीछे जिला प्रशासन की मंशा ही स्पष्ट नही है, क्योंकि जमीनों पर कब्जे नौकरशाहों और सफेदपोश नेताओं व माफियाओं ने मिलकर किए गए हैं। चारागाह की जमीनों पर पट्टे कराकर लोग पेट्रोल पम्प के साथ आलीशान मकान बन चुके हैं। वह कहते हैं कि जमीनों की इंतखाब खतौनी में स्पष्ट तौर पर लिखा गया है कि यह जमीनें श्रेणी (5)(3) स्थाई गौचर भूमि और चराई की अन्य भूमियों में आती है। इसका पट्टा किसी प्राइवेट व्यक्ति को किया ही नहीं जा सकता। उन्होंने बताया कि खतौनी खाता संख्या 1449 सन् 1378 लगायत 1380 के बाद किन खातेदारों के नाम अंकित हुई है, इनके संबंध में आख्या मंगवाने की गुजारिश खुद शासकीय अधिवक्ता ने की थी और उन्होंने इसके लिए बकायदा चारागाह में खाते अंकित कराने के लिए मुकदमा चलाने की अनुमति भी चाही थी, पर हुआ कुछ नहीं।
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जानकारी मिली है, इसकी पूरी जांच करवाई जाएगी और दोषियों को सजा दिलवाने के साथ सार्वजनिक भूमि को अभियान चलाकर कब्जों से मुक्त कराया जाएगा।-अनुज कुमार झा, डीएम।
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