गुप्‍त गोदावरी- जो आज भी अबूझ पहेली बनी है

गुप्‍त गोदावरी- जो आज भी अबूझ पहेली बनी है

Friday, March 29, 2013

पैरों की लयात्मकता में बरसा संगीत

महोबा, स्टाफ रिपोर्टर : विलक्षण. अद्भुत की आवाजों के साथ ही तालियों की गड़गड़ाहट .. जी हां, खजुराहो के चंदेली मंदिर समूह के ओपन सभागार में जैसे ही घुंघरूओं से बंधे पैरों की लयात्मकता बढ़ी वैसे ही उपस्थित लोगों के हाथों से तालियों की गूंज सुनाई देने लगी। उमा सत्यनारायण की वरिष्ठ शिष्या माने जाने वाली अन्वेषा दास के द्वारा भरतनाट्यम नृत्य के दौरान 'अरंगेत्रम' के दौरान तो लोग मंत्र मुग्ध हो गए, ऐसा लगा कि सैकड़ों लोग सांस रोककर नृत्य का आनंद ले रहे हैं।

ओडिसा की रहने वाली चेन्नई में पली बढ़ी अन्वेषा दास के नृत्य की विशेषता उनका भाव प्रवण अभिनय था। इसके पश्चात ओडिसी के सुविख्यात गुरु केलु चरण महापात्र, कुमकुम मोहन्ती, मायाधर राउत के शिष्य पूर्णा श्री राउत व लकी मोहंती ने जब युगल नृत्य प्रस्तुत किया तो उसमें उड़िया छाप साफ दिखाई दी। नृत्य में भगवान जगन्नाथ की आराधना साफ झलकी। मुद्राओं और चितवन के साथ पैरों की थिरकन बिलकुल तबले की थापें गिनी जा सकती थी। इस बीच बलभद्र और सुभद्रा का संवाद भी काफी सराहा गया। डा. वेंकट वेम्पति व वेम्पति रवि शंकर का कुचिपुड़ी नृत्य न केवल आकर्षक मुद्राओं के लिए दर्शनीय बना बल्कि उनका जोश और पथ संचलन दर्शकों की तालियों का कारण बना। खजुराहो नृत्य उत्सव की अंतिम प्रस्तुति के दौरान दर्शकों का उत्साह इतना बढ़ा कि वह लोग खड़े होकर देर तक तालियां बजाते रहे। स्थानीय दर्शकों के अलावा फ्रांस, जर्मनी, चेकोस्लाविया, नामीबिया, ब्राजील के अलावा तमाम देशों के दर्शक मौजूद रहे।


घुंघरुओं की रुन झुन से गूंजे देवालय

संदीप रिछारिया, खजुराहो (महोबा): एक बार फिर खजुराहो में बने विशेष मंदिरों के ओसारे जगमग हो उठे। सैकड़ों साल पहले के दृश्यों की पुनरावृत्ति दिखाई दी। इस बार यहां पर राजदरबार नहीं बल्कि आम आदमी के साथ ही तमाम देशों से आए सैलानी व कला समीक्षक थे। खजुराहो नृत्य समारोह के दूसरे दिन देर शाम जयपुर घराने की सुप्रसिद्ध नृत्यांगना टीना ताम्बे ने कथक प्रस्तुत कर सभी को वाह- वाह करने पर मजबूर कर दिया। रंजना ठाकुर व डा. सुचित्रा हरमलकर की इस शिष्या ने जब पूरी रवानगी के साथ ही छोटी छोटी टुकड़ी व परनों के साथ आंखों व हाथों की भंगिमाओं की प्रस्तुति की तो देशी तो देशी विदेशियों की तालियां रुकने का नाम नहीं ले रहीं थी।

इसके बाद गंगा अवतरण के साथ ही देश के तमाम धर्मस्थलों की विशेषताओं व स्थान देवताओं के महत्व को उजागर करता नृत्य फ्रांसीसी मोहनी अट्टम की नृत्यांगना ब्रिजिट शतनियर ने समकालीन नृत्य मोम चटर्जी गांगुली ने प्रस्तुत किया। गंगा की प्रस्तुति के दौरान उन्होंने न केवल इसे पवित्र नदी करार दिया बल्कि स्त्री के तात्विक मूल्यों का चित्रण किया गया। फ्रांस और भारत में समान रूप से रहने वाली ब्रिजिट शतनियर ने एक बारगी गंगा के अवतरण के दृश्य में रवानी ला दी और लोग खड़े होकर तालियां पीटने को मजबूर हो गए। गुरुवार की अंतिम प्रस्तुति शर्मिला विस्वास व उनके साथियों ने दी। मोहनी अट्टम के बाद केलूचरण महापात्र की इस शिष्या ने महरी नर्तकों के जीवन चरित्र के बारे में प्रस्तुति दी।

इसके पूर्व बुधवार को खजुराहो नृत्य समारोह का शुभारंभ मप्र के संस्कृति एवं जनसम्पर्क मंत्री लक्ष्मी नारायण शर्मा किया। समारोह की पहली प्रस्तुति राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी व उनके साथियों ने दी। कथक की भाव भंगिमाओं को देखकर लोग आनंदित हो उठे थे। इसके बाद भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान सौरभ गांगुली की पत्‍‌नी सुप्रसिद्ध ओडिसी नृत्यांगना डोना गांगुली व रघुनाथ दास ने ओडिया व समकालीन युगल नृत्य प्रस्तुत किया। पहले दिन की अंतिम प्रस्तुति उमा नम्बूदिरीपाद सत्यनारायण के भरतनाट्यम से हुई।

इस दौरान केरल की प्रदर्शनकारी कलाओं की कला यात्रा से संबंधित कला प्रदर्शनी नेपथ्य, मप्र राज्य रूपकंर कला प्रदर्शनी एवं पुरस्कार व आर्ट मार्ट जैसी प्रदर्शनियां भी देशी विदेशी दर्शकों को रोमांचित कर रही हैं। इसके साथ वस्त्र बुनाई व वस्त्र छपाई की प्रक्रिया को दर्शाता आर्ट मार्ट का हुनर एक विशेष तरह का उत्साह प्रस्तुत करता है।

शिक्षण के साथ ही सामाजिक सरोकारों से भी वास्ता

संदीप रिछारिया, महोबा: सर्व शिक्षा अभियान के तहत जहां बच्चों को विद्यालयों में शिक्षण व प्रशिक्षण से नई तकनीकि व अत्याधुनिक ढंग से पढ़ाई करवाने के प्रयास चल रहे है, वहीं जिले के कुछ स्कूलों में सीधे तौर पर जन सरोकारों से भी जोड़ने के प्रयास चल रहे हैं। जल संरक्षण की दिशा में प्राथमिक विद्यालय बरा में किए गए प्रयास से बुंदेलखंड की एक बड़ी समस्या पानी से लड़ाई लड़ने में मदद मिलेगी।

प्यास से जूझती इस बुंदेली धरा पर बच्चों के अंदर पानी बचाने के भावना को जन्म देने का काम जिलाधिकारी डा. काजल ने किया। उन्होंने बेसिक शिक्षा अधिकारी को यह निर्देश दिए पानी बचाने का प्रारंभ विद्यालय से ही करवाया जाए। विद्यालय के जल को विद्यालय में ही दफन कर दिया जाए। फिर क्या था आनन फानन में बरा गांव के प्राथमिक विद्यालय का चयन कर इनको बनवाने की जिम्मेदारी न्याय पंचायत भंडरा के केंद्रीय प्रधानाध्यापक विवेकानंद गुप्ता को सौंपी गई। इस काम में उनके सहभागी एबीआरसी अनिल शुक्ला बने।

केंद्रीय प्रधानाध्यापक बताते हैं कि वाटर हार्वेस्टिंग के इन प्रयोगों को बनवाने में कुछ ज्यादा खर्च नहीं आया और यह माडल इतने बढि़या बने कि बच्चों के अंदर पानी को बचाने की भावना तेजी से पनप रही है। उन्होंने बताया कि विद्यालय की छत व जमीन में स्लोप बनाकर उन्हें तीन और चार फिट के दो गड्डों से मिला दिया गया। गड्डों को सोलम, बजरी, गिट्टी व जीरा गिट्टी से इस प्रकार भर दिया गया कि बच्चे उसमें आराम से खेल भी सकते हैं। यहां पर विद्यालय कैंपस का पूरा बरसात व रोजमर्रा का पानी आ जाता है। कुछ छत्तीस हजार के खर्च में तैयार इस प्रोजेक्ट के कारण विद्यालय का पानी विद्यालय में ही रुक रहा है।

..पानी बचाने का प्रयोग सफल है। इस प्रयोग को शासन स्तर पर भेजकर इसे मान्यता दिलाने का प्रयास किया जा रहा है। अगर यह प्रस्ताव ऊपर स्वीकार कर लिया जाता है तो हर प्रदेश के हर विद्यालय में लागू होने से न केवल पानी बचाने में मदद मिलेगी बल्कि बच्चों के अंदर पानी को बचाने की भावना भी बढे़गी।

मसीह हुज्जमा सिद्दीकी

बेसिक शिक्षा अधिकारी

इस विद्यालय का प्रोजेक्ट बनाकर प्रमुख सचिव को भेजा गया है। उन्होंने इस काम को देखकर बधाई भी दी है, साथ ही इस काम को पूरे प्रदेश में लागू करवाने के लिए विचार विमर्श भी चल रहा है। आगे भी इस तरह के समाजोपयोगी कार्य किए जाते रहेंगे।

.. डा. काजल

जिलाधिकारी

Thursday, March 28, 2013

बुंदेलखंड में तैयार होते हैं गुलाबी शहर के घरानेदार कलाकार

संदीप रिछारिया,महोबा

अकल्पनीय है पर बिलकुल सत्य. बुंदेलखंड की इस वीर भूमि अब तलवारों की जगह घुंघरुओं की झनकार और अलापों के स्वर शांति और सद्भाव का संदेश देते हैं। चक्करदार परनों और आरोह अवरोध के बीच यहां पर देश भर से आने वाली प्रतिभाओं को विश्व आकाश रूपी रंगमंच पर उड़ने को तैयार किया जा रहा है। यह काम पिछले तीस सालों से अनवरत जारी है शहर के किशोर कला मंच में। देश के विभिन्न भागों से आकर बेटियां इस गुरुकुल पर शास्त्रीय संगीत के साथ ही लोक संगीत की शिक्षा लेकर विश्व भर में अपनी खुशबू फैलाने का काम कर रही हैं।

छतरपुर की रिंकी चौरसिया, गुजरात के सूरत शहर की कृष्णा राजपूत, मध्य प्रदेश के शिवपुरी की सोनम कुलश्रेष्ठ, पनवाड़ी की चंचल राजपूत महोबा की राम जानकी व अभिलाषा सिंह कहती हैं कि शिक्षा के साथ संस्कार और संगीत की यह शिक्षा उन्हें मामूली से विशेष बनाने का काम कर रही है।

जयपुर घराने से एमम्यूज नवल महाराज कहते हैं बालिकाओं को यहां पर नि:शुल्क आश्रम पद्धति से संगीत का शिक्षण दिया जाता है। अभी तक 8 बैच यहां से शिक्षण पूरा कर जा चुके हैं। यहा से निकले छात्र कनाड़ा के साथ ही देश के तमाम हिस्सों में जाकर कला के जरिए नाम कमा रहे हैं।

उन्होंने बताया कि छात्राएं उनके पास देश भर से आती हैं। वह यहां पर रहकर संगीत भूषण, विशारद, भास्कर व एम म्यूज की शिक्षा ग्रहण करती हैं। तमाम बेटियां जवाहर नवोदय विद्यालय, केंद्रीय विद्यालय, संगीत विद्यालय, महाविद्यालयों में संगीत की शिक्षा प्रदान कर रही हैं।