गुप्‍त गोदावरी- जो आज भी अबूझ पहेली बनी है

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Saturday, April 24, 2010

बहत्तर प्रतिशत धन खर्च कर बना दिये 219 आदर्श तालाब

चित्रकूट। सरकार की मंशा गांवो में रहने वालों के लिये पुराने सपनों का गांव बनाने की है और इसी मकसद से हर एक गांव में माडल तालाब बनाये जाने के मकसद से काम प्रारंभ की जब कवायत शुरु हुई तो एक बार फिर अतिक्रमण सामने आया। कई गांवों में तो अतिक्रमणकारी न केवल तालाब के भीटे बल्कि पूरा-पूरा तालाब ही निगल चुके थे। खैर सरकार की मंशा के अनुरुप जब जिले भर की तीन सौ तीस ग्राम सभाओं में आदर्श तालाब बनाने के लिये तलाश की गई तो 298 गांवों पुराने तालाब मिल ही गये। मनरेगा जैसी योजना और कड़ी मशक्कत के बाद भी कागजों पर तो अधिकारियों ने 219 तालाबों को आदर्श बनाये जाने की घोषणा कर दी पर वास्तविकता में जिले का एक भी तालाब आदर्श कहलाने लायक बना ही नही क्योंकि तो अभी किसी तालाब में पानी ही नही है और बरसात आने का इन्तजार पौधरोपण कराये जाने के लिये है। सभी तालाबों में तय मानक के अनुसार अभी काम भी पूरे नही हो पाये।

परियोजना निदेशक पी के श्रीवास्तव बताते हैं कि आदर्श तालाब योजना में जिले में कुल 298 तालाबों का चयन किया गया था। हर गांव के एक तालाब को आदर्श बनाया जाना मकसद था। इसमें प्रत्येक आदर्श तालाब में फेन्सिंग, आउट लेट, इनलेट, बैठने के लिये बेंचों की व्यवस्था, फलदार और उपयोगी पौधों का वृक्षारोपण, बोरिंग, गेट का निर्माण तथा विधवा या विकलांग जाब कार्ड धारक को तालाब की देखरेख के लिये तैनात कर उसका भुगतान मनरेगा से किया जाना जैसे काम थे।
उन्होंने बताया कि जिले भर की कुल 330 ग्रामसभाओं में 298 आदर्श तालाबों का रुप देना था। जिनमें से 219 को आदर्श तालाब का रुप दे दिया गया है। शासन से आये तिहत्तर प्रतिशत धन में से बहत्तर प्रतिशत धन को खर्च किया जा चुका है।
कर्वी ब्लाक के खंड विकास अधिकारी कहते हैं कि जब अभी तालाबों में पानी ही नही है तो आउटलेट का निर्माण क्यों कराया जायेगा। बरसात में जब पानी बरसेगा तभी तालाब भरेंगे और बरसात में ही पौधे भी लगाये जायेंगे। 94 ग्राम सभाओं में से कुल 86 तालाबों का ही निर्माण कराया जा रहा है। इनमें से पैंसठ ही पूरा हो पायें हैं। वैसे इस योजना में काम 60 प्रतिशत मजदूरों से कराया जाना था। यहां पर अधिकारी कहते हैं कि इस नियम का पालन तो किया गया पर पथरौंडी गांव के तालाब में तो जेसीबी से कराई गई खुदाई की शिकायत भी एक बार तहसील दिवस में सामने आई आ चुकी है।

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