गुप्‍त गोदावरी- जो आज भी अबूझ पहेली बनी है

गुप्‍त गोदावरी- जो आज भी अबूझ पहेली बनी है

Wednesday, August 31, 2011

भारतीय नाट्यशास्त्र ही सभी प्रकार के अभिनय का आधार

दुनिया जहान को तरंगित करने की कूबत रखते हैं हिंदुस्तानी नाटक
संदीप रिछारिया, रायबरेली :जीवन एक रंगमंच है और हम उसके अभिनेता। हमारे जीवन के सम्पूर्ण अभिनय की डोर परमेश्वर के हाथ में होती है और वह जैसे चाहता है वैसे ही हमसे अभिनय कराता है। जी हां, अभिनय की ग्लैमरस दुनिया की शुरूआत नाटकों के जरिये ही होती है और बड़े से बड़ा नाटककार जागते सोते अपनी जिंदगी में अभिनय करता रहता है। यह बातें जागरण कार्यालय में एनएसडी नई दिल्ली से आये राकेश सिंह ने कहीं।
उन्होंने नाटकों के मूल स्वरूप की व्याख्या के दौरान कहा कि वास्तव में प्राचीन नाट्यशास्त्र ही हर एक प्रकार के अभिनय का आधार है। इस विधा के विभिन्न अवयव नृत्य व अभिनय इसको दर्शकों को संप्रेषित करने का काम करते हैं। उन्होंने नाट्यकला में हो रहे नये प्रयोगों को नये जमाने की जरूरत बताते हुये कहा कि अब नाटकों से आदि और अंत गायब हो रहे हैं और उनमें देश, काल, रीति, स्थिति व परिस्थिति के अनुसार तमाम परिवर्तन हो रहे हैं। वैसे अब समाज में नाटकों को देखने वालों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। आज भी देश के नामचीन अभिनेता नाटकों पर अक्सर अपनी अभिनय क्षुधा को शांत करने के लिये दिखाई दे जाते हैं।
उनके साथ ही आये इप्टा के स्थानीय संयोजक संतोष डे ने बताया कि आज भी नाटकों के अलावा वे लोक कलाओं को संरक्षित करने का काम कर रहे हैं। गांव-गांव जाकर उनकी टीमें लोक कलाकारों की पहचान कर उनके कार्यक्रमों को प्रदर्शित कराने का काम करती रहती हैं।

No comments:

Post a Comment