गुप्‍त गोदावरी- जो आज भी अबूझ पहेली बनी है

गुप्‍त गोदावरी- जो आज भी अबूझ पहेली बनी है

Sunday, August 14, 2011

मुफलिसी में जी रहे हैं तो क्या हुआ, गुलाम तो नहीं हैं..

संदीप रिछारिया, रायबरेली : पहले गोरों के जुल्म ओ सितम सहे और फिर अपनों के, पर न कोई गिला है और न सिकवा है। इनकी मुफलिसी ही इनकी पहचान है क्योंकि आज भी इनके दिल से आवाज निकलती है कि 'फिर भी दिल है हिंदुस्तानी'।

मिट्टी की बनी जर्जर दीवार पर टिके छप्पर की छांव में बैठे महादेव अपनी पत्‍‌नी संग गरीबी और मुफलिसी की चाहे जो पीड़ा बयां कर रहे हों। पर उनकी आंखों में अपने पिता स्वतंत्रता संग्राम सेनानी शहीद 'महावीर' को लेकर गर्व की अनुभूति साफ झलक रही थी।
शहीद किसान आंदोलन में किसान नेता अमोल शर्मा और बाबा जानकी नाथ को विदेशियों के चंगुल से आजाद कराने के लिए सई नदी के तट पर एकत्रित हुए जनसमूह में महावीर भी शामिल थे। किसानों के अहिंसक आंदोलन में 7 जनवरी 1921 को मुंशीगंज में अंग्रेजों ने बर्बरता का परिचय देते हुए ताबड़तोड़ गोलियां चलायी। गोलीकांड में लगभग 750 किसान शहीद हो गये और सैकड़ों घायल। इंकलाब जिंदाबाद, अंग्रेजों भारत छोड़ो का नारा लगाकर देशप्रेमी महावीर के पैर में गोली लगी और वे बेसुध हो जमीन पर गिर पड़े। अंग्रेजों द्वारा स्थापित अस्पताल में उन्हें भर्ती कराया गया। आठ दिन तक इलाज चला। एक दिन मौका पाकर वह अस्पताल से भाग निकले। अंग्रेजों ने उनका पीछा किया पर वो उनकी पकड़ में नहीं आये। नाकामी से खिसियाये अंग्रेजों ने उनका घर तबाह कर दिया और उनकी 12 बीघे जमीन अपने कब्जे में ले ली। अंग्रेजों से छिपते छिपाते देश की स्वतंत्रता के लिए लड़ते-लड़ते 1940 में वो स्वर्गलोक सिधार गये। उनकी मौत के बाद उनकी पत्‍‌नी द्विजा देवी पर चार बच्चों की परवरिश की जिम्मेदारी आयी। उनमें भी देशप्रेम का जज्बा कूट-कूटकर भरा था। उन्होंने अंग्रेजों की बर्बरता का सामना कर बच्चों का पालन पोषण किया।
राही विकासखंड के पूरे रती मजरे बेलाखारा में रह रहे उनका एक पुत्र महादेव(60) अपनी पत्‍‌नी संग पुश्तैनी मकान (जो कि अब पूरी तरह जर्जर हो गया है) में रह रहा है। शहीद महावीर के बड़े पुत्र राउरदीन (80) गांव से बाहर कुटिया बनाकर सन्यासी जीवन व्यतीत कर रहे हैं। दोनों ने बताया कि पिता और बाबा की शहादत से आज हम स्वतंत्र देश में सांस ले रहे हैं जो कि सरकारी सुविधाओं से कहीं बढ़कर है।

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