Jun 06, 02:22 am
चित्रकूट। 'चमक उठी थी सन सत्तावन में वह तलवार पुरानी थी बुंदेले हरबोलों के मुंह हमने सुनी कहानी थी।' एक ऐसी बुंदेली महिला जिसे कलम की ताकत ने वह बुलंदी दी कि वह आजादी के दीवानों की फेहरिस्त में अमर हो गयी।
भगवान राम की कर्मभूमि की एक महिला ऐसी भी थी जिसके नाम से ही अंग्रेज डरते थे। इस वीरांगना का नाम था शीला देवी। घाघरा पलटन की इस नायिका के कारनामों का यह हाल था कि सन 1857 के पन्द्रह साल पहले कोई भी महिला घाघरा चोली पहने सड़क पर निकलती थी तो उसे पहले पुलिस की तफ्शीस से होकर गुजरना पड़ता था और थोड़ा भी शक होने पर उसे जेल भी जाना पड़ता था। अंग्रेजों का बनाया बांदा गजट इस बात की पुष्टि करता है कि उन दिनों जेलों में पुरुषों से ज्यादा महिलाएं बंद हुई थी। इस पलटन ने 6 जून 1842 में ऐसा कारनामा दिखाया कि अंग्रेजी सेना के पैर बुंदेलखंड के इस भूभाग से उखड़ से गये। 'राम रहीमा एक है, दो मत समझे कोय' का उद्घोष करने वाली शीला देवी की घाघरा पलटन जब अंग्रेजों के जुल्मों की दास्तान के साथ इस मंदाकिनी के पावन तट पर गायों को काटकर बंगाल भेजे जाने की बात बतातीं तो महिलाएं घर का चूल्हा चौका छोड़कर उसके साथ हो लेती। पलटन में लगभग पन्द्रह सौ महिलाएं थीं। तुलसीदास महाविद्यालय के पूर्व प्रवक्ता डा. अजय मिश्र ने बुंदेलखंड के निवासियों का स्वतंत्रता आंदोलन में प्रतिभाग पर पूरा अध्ययन करने के बाद बताया कि घाघरा पलटन में जितनी महिलाएं हिंदू थी उतनी ही मुस्लिम भी। दोनों का काम समाज को जगाना था। उन्होंने कहा कि आंदोलन की शुरुआत करने का काम शीला देवी की घाघरा पलटन ने ही किया था। वैसे तो इसमें शामिल अधिकतर महिलाएं अशिक्षित थीं पर वे युद्ध कौशल से भली भांति परिचित थी। तेज दिमाग की इन महिलाओं ने जब बुंदेली मस्तिष्क में जब अंग्रेजों के प्रति नफरत भरने का काम किया तो मर्द तो आगे आये ही यह भी घाघरा चोली के साथ तलवारें लेकर सामने आ गयीं। इतिहासकार बताते हैं कि 6 जून की घटना की पूरी रुप रेखा शीलादेवी की ही देन थी। इस अमर सेनानी ने ही मऊ तहसील में कार्यरत अंग्रेज अफसरों को उनके कार्यालयों व निवास से घसीटकर बाहर निकाला था। बाद में दस अंग्रेज पुरुषों को फांसी पर लटका दिया। बाद में सरकारी सामग्री की लूटपाट करते आजादी के दीवाने बबेरू से केन को पकड़कर बांदा पहुंचे और आंदोलन गतिशील हो गया।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment