गुप्‍त गोदावरी- जो आज भी अबूझ पहेली बनी है

गुप्‍त गोदावरी- जो आज भी अबूझ पहेली बनी है

Saturday, June 6, 2009

अनाज के दानों पर बनाये वन व झरने

Jun 06, 02:22 am
चित्रकूट। धर्मनगरी के कलाकार एक बार फिर अपनी प्रतिभा की बानगी से लोगों को चमकृत करने का काम कर रहे हैं। मामला चुनाव का हो या आतंकवाद का या फिर पर्यावरण का। यहां की मिट्टी के कलाकार जमाने के साथ अपनी छाप छोड़ने का अवसर छोड़ना तो जैसे जानते ही नही। पेट की तिल्ली का दर्द सहने के कारण देश के राष्ट्रपति से इच्छा मृत्यु की मांग करने वाले विनय कुमार साहू ने विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर एक बार फिर अपनी प्रतिभा की बानगी प्रस्तुत की।
अपने निवास लक्ष्मणपुरी में ही चौदह प्रकार के अनाजों के साथ प्रयोग कर पर्यावरण को बचाने का संकल्प एक बार फिर दोहराया। उसकी कलाकृतियां प्राकृतिक दृश्यों से भरी हुई थी। इनमें नदी, पहाड़, झरने और वन व सुन्दर लताओं वाले पेड़ दिखाई दे रहे थे। प्रकृति के सौंदर्य को प्रस्तुत करने का तरीका उसने विभिन्न तरह के फूलों का चुना। दिन भर विनय की बनाई कलाकृतियों को देखने वालों का तांता लगा रहा। इसमें मुख्य रुप से ग्रामोदय विवि के कला प्राध्यापक डा. प्रसन्न पाटकर, भारतीय साहित्यिक संस्थान के अध्यक्ष बी बी सिंह, छेदी लाल तिवारी, आनंद राव तैलंग, पंकज अग्रवाल, जीतेन्द्र उपाध्याय आदि सैकड़ों लोग पहुंचे। कलाकृतियों को बनाने वाले कलाकार विनय साहू ने बताया कि यह काम उसने देश के मशहूर पर्यावरणविद् डा. जी डी अग्रवाल की प्रेरणा से किया है। इस काम में चना, गेंहू, चावल, मूंग दाल, मसूर दाल, चना दाल, इलायची, लौंग, सुपाड़ी, सरसों, तिल, मेथी, लहसुन, धनिया, नमक, अंडे के खोल के अंदर प्राकृतिक दृश्यों का चित्रण किया।

No comments:

Post a Comment