गुप्‍त गोदावरी- जो आज भी अबूझ पहेली बनी है

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Sunday, August 8, 2010

सावन के रंग में रंगे स्वामी कामतानाथ

चित्रकूट। धर्मनगरी में इन दिनों सावन की धूम चल रही है। जहां हर छोटे बड़े मंदिर मे शाम होते ही संगीत के साथ सावन के गीत देवताओं को सुनाने के लिए गायकों का जमावड़ा लग रहा है। वहीं दर्शन मात्र से कष्टों को हरने वाले श्री कामतानाथ स्वामी का अंदाज भी इन दिनों सावन के रंग में रंगा है। उनकी पोशाक तो हरे रंग की है ही, पुष्पों और माला भी इसी रंग में रंगी है। जहां बेल की पत्तियों का श्रंगार विग्रह के चारों ओर दिख रहा है। वहीं श्यामा और रामा तुलसी दल की माला रोज चढ़ायी जा रही है। सबसे बड़ी बात यह है कि करीब बारह से पंद्रह फिट लंबी तुलसी दल की माला के हर पत्ते पर मलयागिरि चंदन से श्री राम भी लिखने का काम खुद पुजारी करते हैं।

कामदगिरि प्रमुख द्वार के पुजारी प्रेम चंद्र मिश्र बताते हैं कि सवन की शुरुआत होते ही कामतानाथ स्वामी का श्रंगार पुष्पों से ज्यादा पत्तियों से किया जाता है। श्रंगार में इसका विशेष ध्यान रखा जाता है कि वस्त्रों के साथ ही आसपास का वातावरण हरे रंग का ही हो। ठाकुर जी के विग्रह पर सावन के पूरे महीने तुलसी दल की एक माला प्रतिदिन चढ़ायी जाती है। माला चढ़ाने के पहले उसके हर पत्ते पर मलयागिरि चंदन से श्री राम नाम लिखा जाता है। कई भक्त खुद माला बनाकर लाते हैं। भगवान को तीन बार श्रंगार के बाद तुलसी माला चढ़ायी जाती है। स्थानीय भक्त विवेक अग्रवाल कहते हैं श्री कामतानाथ स्वामी विलक्षण देव हैं। वो मानव के कष्टों को हरने के साथ ही इस लोक से उस लोक तक की यात्रा भी मंगलमय बनाते हैं। सावन में तुलसी माला चढ़ाने का महत्व काफी गूढ़ रहस्यों को छिपाये है।

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