गुप्‍त गोदावरी- जो आज भी अबूझ पहेली बनी है

गुप्‍त गोदावरी- जो आज भी अबूझ पहेली बनी है

Friday, May 29, 2009

जिला अस्पताल का प्राइवेटाइजेशन : कहीं खुशी तो कहीं गम

May 29, 01:55 am
चित्रकूट। यहां के जिला अस्पताल को प्राइवेट हाथों में जाने की बात क्या उठी अस्पताल के सीएमएस समेत सभी डाक्टरों को सांप सा सूंघ गया। सभी इस जुगाड़ में लग गये कि आगे की कहानी कैसी होगी। प्राइवेट कम्पनी में वे काम कर पायेंगे या नहीं। वैसे जहां प्राइवेट कम्पनी में जाने की बात पर डाक्टर आशंकित हैं वहीं आम आदमी प्रसन्न। लोगों का मानना है कि चलो इस रिफर केंद्र बन चुके अस्पताल में इलाज तो मिलेगा। क्योंकि जिला अस्पताल के अधिकतर डाक्टर या तो बाहर की दवा लिखते हैं या फिर अपने घरों में प्रेक्टिस कर मरीजों का शोषण करते हैं।
उधर बुधवार की सुबह यहां के अस्पताल के प्राइवेट सेक्टर में जाने की खबर पर जिला अस्पताल के सीएमएस समेत डाक्टर सकते में रहे। डाक्टरों का मानना था कि अगर अस्पताल प्राइवेट में चला गया तो उनकी ऊपरी कमाई का क्या होगा। उधर अस्पताल में आये मरीज राम लोचन, कृष्ण कुमार, रानी, कैलाशी आदि ने कहा कि अस्पताल में सिर्फ डाक्टर हैं वे दवायें बाहर की लिखते हैं। गंभीर बीमारी होने पर घरों में डिस्पेंसरी पर बुलाते हैं। जब पैसा ही देना है तो कम से कम अस्पताल का बेड़ तो मिलेगा।

No comments:

Post a Comment