May 24, 02:15 am
चित्रकूट। भले ही यूपीए गठबंधन ने बुजुर्ग कांग्रेसी व सहयोगी पार्टियों के वृद्धों का खास ख्याल रख कैबिनेट मंत्री बना दिया हो पर गर्मी की लपटों से कराहते बुंदेलखंड के वृद्धों के यह मौसम जान लेवा साबित हो रहा है। गर्मी के इस मौसम में जिले के लगभग दस हजार वृद्ध केवल तीन सौ रुपये के लिए समाज कल्याण विभाग के अलावा डीएम कार्यालय के चक्कर काट रहे हैं। इनमें तो कई ऐसे भी हैं जो दलालों की चढ़ौती भी चढ़ा चुके हैं पर लगभग आठ-आठ महीनों से अपनी एड़ियां रगड़ रहे हैं। इन सब बातों से इतर जिला समाज कल्याण अधिकारी नागेन्द्र प्रसाद मिश्र के मुंह से इनको पेंशन दिलाने के लिए आशा भी खत्म हो चली है। वे कहते हैं कि क्या करें पिछले मार्च से लेकर चुनाव की अधिसूचना जारी होने तक दो बार में लगभग दस हजार फार्म भेजे जा चुके हैं। अब जब तक 'ऊपर' से अनुमति नहीं आती तो मजबूर हैं।
अधिकारी कहते हैं कि इस बार पूरी तरह से सिस्टम बदल गया है। पहले आवेदन लेकर लखनऊ जाने पर स्वीकृति तुरंत मिल जाती थी पर अब व्यवस्थाएं कुछ ऐसी कर दी गयी हैं कि सभी को इंटरनेट पर अपलोड करना है। यह काम तो हो रहा है, पर अभी चुनाव के चक्कर में सभी कुछ गड़बड़ है। वे बताते हैं कि उन्होंने पिछले मार्च से लेकर अधिसूचना जारी किये जाने तक दो बार में लगभग दस हजार लोगों के आवेदन लखनऊ भेजे थे पर अभी लगता नही कि इनकी स्वीकृति जल्द हो पायेगी। मानिकपुर के रहने वाले मनी राम, कैलास चंद्र, जोगिया व मऊ के राम निहोरे, कन्हैया, कलुआ, कर्वी के राम भवन पासी ,दुर्गेश चंद्र कहते हैं कि विभाग में दलालों का बोलबाला है। जो दलालों को चढ़ावा देता है उसका ही काम होता है। अधिकारी के साथ ही हर एक बाबू ने अपना-अपना दलाल पाल रखा है। पैसा देने के बाद भी काम नही हो पाता है। उन्होंने बताया कि कई बार वे अपनी समस्या को लेकर जिलाधिकारी को मिल चुके है। उनका पत्र जिलाधिकारी इन्हीं के पास भेज देते हैं, पर काम ठेले भर का नहीं होता। भाकपा के जिला सचिव रुद्र प्रसाद मिश्र कहते हैं कि गरीबों का पैसा खाने का रोग तो हर सरकारी अधिकारी को लग चुका है। अब तो मुख्यमंत्री ने भी स्वीकार कर लिया है कि सरकारी कार्यालयों में भ्रष्टाचार अपने चरम पर है।
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