गुप्‍त गोदावरी- जो आज भी अबूझ पहेली बनी है

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Monday, May 25, 2009

मुख्यालय के समीपवर्ती गांवों में चरमरा रही पेयजल व्यवस्था

चित्रकूट। गर्मी बढ़ने के साथ ही जिले की पेयजल व्यवस्था चरमरा रही है। मुख्यालय के समीपवर्ती गांवों में जलापूर्ति को पड़ी पाइप लाइन ध्वस्त होने की कगार पर है जिसमें हफ्ते में बमुश्किल एक बार पानी मिल रहा है। मौसम में उमस व गर्मी बढ़ने के साथ ही जिले में पेयजल को लेकर लोगों की परेशानियां बढ़ती जा रही हैं।
सरकारी आंकड़ों पर गौर करे तो जिले के 1674 में मात्र 455 में पानी है। चिह्नित किये गये 48 तालाबों में 43 नहरों से भरे जा चुके है, जबकि 157 तालाब निजी नलकूपों से भरे जाने है। इसके अलावा 86 पोखरों को नहर विभाग द्वारा भरा जा चुका है। पशु पेयजल की दृष्टि से गत वर्ष बनाई गई 550 चरही की सफाई के निर्देश जारी किये गये है।
सरकारी आंकड़ों में भले ही विभागीय अफसर पेयजल समस्या से इंकार करे, किंतु हकीकत इससे अलग है। मुख्यालय से महज सात किमी दूरी पर कर्वी-राजापुर मार्ग में बसे चकजाफर गांव में लगभग ढाई हजार की आबादी है। गांव दलित बस्ती के तीन हैडपंप तीन माह पूर्व जवाब दे चुके है, किंतु अब तक उनके रिबोर नहीं कराये गये। इसके अलावा गांव के आठ हैडपंप खराब पड़े है, शेष बचे हैडपंपों में पानी भरने को भारी भीड़ जुटती है। घरों की महिलाओं का सीधा फरमान है कि बच्चे हो या बूढ़े हैडपंप में नहाने के बाद दो बाल्टी पानी लेकर ही घर लौटे। गांव के दर्जन कुयें पूरी तरह सूख चुके है। गांव में जल संस्थान की पाइप लाइन भी पड़ी है जिसमें दौ सौ से ज्यादा लोगों के कनेक्शन भी ले रखे है, मगर पाइप लाइन क्षतिग्रस्त होने से सप्ताह में एक दिन जलापूर्ति हो रही है। गांव के चौराहे पर लगा एक मात्र स्टैड पोस्ट भी बिगड़ा तो आज तक नहीं बन सका। ग्राम प्रधान मैना देवी का कहना है कि अब तक हैडपंप के पास बनी चरही सफाई के निर्देश नहीं आये है। गांव में पांच स्टैड पोस्ट लगाने के लिये पैसा जमा किया जा चुका है। इसके अलावा टैकर से जलापूर्ति के लिये ग्राम पंचायत की ओर से 15 दिन पूर्व प्रस्ताव भेजा गया था, किंतु कोई कार्यवाही नहीं हुई। बताया कि निजी नलकूपों से गत वर्ष भराये गये दो तालाबों का भुगतान अब तक नहीं हो सका है।

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