गुप्‍त गोदावरी- जो आज भी अबूझ पहेली बनी है

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Friday, May 29, 2009

जब नही मिले स्मार्ट कार्ड तो कैसे हो इलाज

May 29, 01:55 am
चित्रकूट। गरीबी रेखा से नीचे रहने वालों के अच्छे स्वास्थ्य को लेकर प्रदेश सरकार द्वारा घोषित राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना का काम यथार्थ क्या कागजों पर भी नही दौड़ पा रही है। मार्च तक सभी बीपीएल परिवारों को स्मार्ट कार्ड मिलने की जगह अभी तक लगभग एक तिहाई गरीबों के हाथों में ही कार्ड पहुंच पाये हैं, पर उन्हें भी प्रदेश सरकार के इस जादूई कार्ड का लाभ मिल नही रहा है। प्राइवेट चिकित्सकों ने भी पहले इस योजना के तहत अपने आपको रजिस्टर्ड तो करवा लिया था पर सेवा करने की जगह व्यवसाय में तब्दील हो चुके चिकित्सकों व अस्पतालों में गरीबों को मुफ्त लाभ नहीं मिल पा रहा है। मार्च तक पूरे कार्ड न बन पाने से नाराज अधिकारी चुनाव से निपटने के बाद अब कार्ड बनाने वाली एजेन्सी के पेंच कसने के मूड में नजर आ रहे हैं।
मामला कुछ इस प्रकार है। 3 अक्टूबर 08 को शासन ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना की शुरुआत की थी। इसकी सबसे पहली शुरुआत इसी जिले से हुई थी। कार्यक्रम के दौरान अधिकारियों ने बताया था कि जिले में कुल 78047 बीपीएल कार्ड धारक हैं। इन सबके कार्ड 31 मार्च तक बना दिये जायेंगे। इस कार्ड से गरीबों को एक साल के अंदर प्राइवेट चिकित्सालयों में 30 हजार का इलाज मुफ्त कराने की घोषणा कर जिले के अधिकारियों ने जानकीकुंड चिकित्सालय, डा. सुरेन्द्र अग्रवाल व डा. महेन्द्र अग्रवाल के यहां इसके केंद्र स्थापित कर दिये। इस कार्ड को बनाने वाली एजेन्सी आईसीसीआई लोम्बार्ड के अधिकारियों ने भी दावा किया था कि वे 31 मार्च तक पूरे कार्ड बना देंगे, पर मई गुजरने के बाद भी अभी तक कुल 29554 कार्ड ही बन पाये। कर्वी ब्लाक में 8378, पहाड़ी में 8485, मानिकपुर में 3351 और मऊ में 6029 लोगों के ही कार्ड बन पाये हैं। इसके साथ ही रही इलाज की बात तो अभी तक मिले बीपीएल कार्ड धारक राम नरेश, राम किशोर, स्वामी दीन आदि ने बताया कि वे जहां भी इलाज कराने गये हर जगह पैसे पर ही इलाज मिला। सभासद कन्हैया लाल वर्मा ने कहा कि जब सरकार गरीबों को सुविधायें दे रही है तो अधिकारियों के बाद अब डाक्टर भी सिर्फ पैसे के पीछे भागने लगे हैं। कहा कि पहले तो बीपीएल कार्ड के लिये तमाम जद्दोजहद करनी पड़ी है फिर अब इलाज में भी भारी मारा-मारी है।

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