गुप्‍त गोदावरी- जो आज भी अबूझ पहेली बनी है

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Monday, May 25, 2009

दोगुनी हो गयी पेयजल की मांग

May 26, 02:22 am
चित्रकूट। पिछले दस सालों में जनसंख्या में हुई वृद्धि को आधार बनाकर चित्रकूट धाम जल संस्थान के अधिकारियों ने जो रिपोर्ट शासन प्रशासन को भेजी है,उसके अनुसार जिले में पेयजल व्यवस्था का हाल आने वाले दिनों में और भी ज्यादा खराब हो सकता है। विभाग का दावा है कि अब पेयजल की मांग दो गुनी हो चुकी है जबकि पानी की उपलब्धता में पच्चीस प्रतिशत की कमी है। आंकड़े भूमि का जलस्तर गिरने की भी कहानी सुनाते हैं। वर्ष 2001 में 79707 के बाद वर्ष 2007 में 104676 हो गयी पानी की मांग भी 8.43 हो चुकी है, पर विभाग के आंकड़े कुल 5.17 एमएलडी पानी पिलाने का दावा कर रहे हैं। जबकि सच्चाई इससे भी ज्यादा खराब है।
इस तरह का हाल सरकार के सामने रखने वाले जल संस्थान के अधिकारी अभी भी तब के आंकड़ों को सामने रखकर बैठे हैं जब समूचा बुंदेलखंड सूखे की बदहाली के दौर से गुजर रहा था। दो साल पुराने आंकड़े ही सरकार को भेजकर अपने काम की इतिश्री मानने वाले विभाग के उच्चाधिकारियों ने दबी जुबान में स्वीकार किया कि नये आंकड़े बनाकर देने में स्थानीय अधिकारी टालमटोल करते हैं तो पुराने आंकड़ों से ही काम चलाना पड़ता है। विभाग के आंकड़ों के हिसाब से कर्वी की जनसंख्या वर्ष 2001 में 40673 थी जबकि 2007 में यह 48311 हो गयी। जबकि पेयजल की मांग 3.89 एमएलडी के सापेक्ष आपूर्ति 2.45 ही हो पा रही है। सीतापुर का हाल भी कुछ इसी तरह का है। यहां की 9763 आबादी में पानी की मांग 1.59 के सापेक्ष कुल 0.84 एमएलडी ही सप्लाई विभाग कर पा रहा है। मानिकपुर की 21313 जनसंख्या की मांग 1.72 है पर यहां पर सप्लाई 0.95 एमएलडी ही हो पा रही है। राजापुर की 15289 आबादी को 1.23 एमएलडी के सापेक्ष कुल 0.93 ही सप्लाई जल संस्थान दे पा रहा है। जल संस्थान के अधिशाषी अधिकारी कहते हैं कि इन आंकड़ों के बाद जल निगम ने तमाम नये नलकूप बनाये थे। जल संस्थान उनका पानी भी ले रहा है पर तमाम जगहों पर तकनीकी खराबी मामूली होने के कारण उन्हें कागजों पर दर्शाना अभी उचित नही है। इस बार पानी का संकट उतना बड़ा नही होगा।

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