गुप्‍त गोदावरी- जो आज भी अबूझ पहेली बनी है

गुप्‍त गोदावरी- जो आज भी अबूझ पहेली बनी है

Wednesday, February 10, 2010

आज भी गौरवान्वित है पेशवा की बहू

चित्रकूट। 'आज ऐसा पहली बार लगा कि वास्तव में मैं एक बड़े राजवंश की बहू हूं'। अगर उनके पूर्वजों की बनवाई बेशकीमती धरोहर को देखने के लिये रोजाना ही देशी व विदेशी पर्यटक आने लगे तो यहां पर पर्यटन उद्योग काफी तेजी से खड़ा हो सकता है और इलाके में काफी हद तक बेरोजगारी को नियंत्रित किया जा सकता है। 'जागरण' से विशेष बातचीत में मराठा पेशवाओं की बहू जय श्री जोग ने कही।

जय श्री कहतीं है कि वास्तव में आज सुबह ही ददिया ससुर के पिता जी पेशवा अमृत राय जी को उन्होंने एक भाव भीनी श्रद्धाजलि अपने पति सुरेश राम हरि जोग के साथ दी। इस दौरान उनके पति ने कहा कि जिस काम को सोचकर बेशकीमती धरोहरें भारत सरकार को सौंपी गई थी वास्तव में उनका दुरपयोग हो रहा है। सरकार की पहल तो थोड़ा बहुत यहां के विकास को लेकर होती है पर विभाग का काम यहां पर होता दिखाई नहीं देता। उन्होंने खुशी जताई कि शायद अब यहां पर ऐसे ही पर्यटकों का आना जारी हो जाये तो कर्वी के दिन बहुर जायें।
चौकीदार की आंखों में आये आंसू
आरकोलोजिकल सर्वे आफ इंडिया विभाग के अन्तर्गत गणेश बाग में वर्षो से चौकीदारी कर रहे गुलाब सिंह की आंखों में आंसू आ गये। शाम तीन बजे के बाद ही खुशी के आंसू लगातार बह रहे थे। उनका कहना था कि वे पिछले पन्द्रह सालों से यहां पर चौकीदारी का काम कर रहे हैं और पर्यटकों की राह तकते रहते हैं पर इतनी अच्छी मात्रा में लोग यहां पर पहली बार आये हैं। उन्होंने कार्यक्रम के आयोजकों को धन्यवाद दिया कि कम से कम उन्हें गणेश बाग याद तो रहा कि कम से कम यहां पर कार्यक्रम का आयोजन किया।

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