गुप्‍त गोदावरी- जो आज भी अबूझ पहेली बनी है

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Thursday, February 18, 2010

आज बिरज में होली रे रसिया


चित्रकूट। भले ही अभी होली को आने में कुछ समय बांकी हो पर राष्ट्रीय रामायण मेले के सैतीसवें वर्ष की अंतिम शाम का आकर्षण चुराने का काम तो वृन्दावन से आये रास लीला के कलाकारों ने किया। बरसाने की छोरियों व नंद ग्राम छोरों ने जो शमा बांधा लोग आनंदित होकर नाचने लगे। भगवान श्री कृष्ण व राधा रानी द्वारा होली लीला के दौरान उछाले जाने वाले एक -एक फूल को पाने के लिये होड़ सी मच गयी। दिल्ली से आये रिवाइवल ग्रुप आफ इंडिया के द्वारा प्रस्तुत की गई भगवान श्री राम की लीलाओं का लयात्मक प्रदर्शन काफी लम्बे समय तक डा. लोहिया सभागार में मौजूद हजारों दर्शकों के दिलो दिमाग पर अमिट छाप छोड़ गया। इसके साथ ही डांस इंस्टीट्यूट आफ मुम्बई के कलाकारों ने लावनी, घूमर व भवई की जीवांत प्रस्तुति दी। इनके द्वारा कांच और लोहे की कीलों के ऊपर पीतल के कलशों को लेकर किया गया नृत्य बेजोड़ रहा।

शाम की सभा की शुरुआत पपिहा देसाई के निर्देशन से सजी लगभग दो घंटों में श्री राम चरित मानस की सम्पूर्ण प्रस्तुति से हुआ। इसमें श्री राम के जन्म से लेकर श्री राज्याभिषेक तक के दृश्यों की दिखाया गया। लाइट एंड साउंड के माध्यम से प्रस्तुत किये गये इस प्रदर्शन पर लोग मानो मंत्र मुग्ध हो गये थे। मुम्बई से आये डांस इंस्टीट्यूट के कलाकारों ने लावनी के नृत्य के दौरान जो जोश पैदा किया उसे बढ़ाने का काम घूमर और भवई तक जारी रखा। इसके पूर्व वृन्दावन से आये देवकी नंदन शर्मा की रास लीला ने लोगों को मोहने का काम किया। मयूर नृत्य के साथ ही श्री कृष्ण की बाल लीलाओं के साथ ही होली लीला दृश्य अत्यंत प्रभावशाली थे। कार्यक्रमों को देखने के लिये हजारों की संख्या में लोग मौजूद रहे।
मेले के कार्यकारी अध्यक्ष गोपाल कृष्ण करवरिया, संचालक आचार्य पं. बाबू लाल गर्ग, पूर्व सांसद भीष्म देव दुबे, डा. श्याम मोहन त्रिपाठी, प्रदुम्न दुबे लालू, देवी दयाल यादव, घनश्याम मिश्र, राजेश करवरिया राजू, मनोज मोहन गर्ग,प्रशान्त करवरिया, ज्ञान चंद्र गुप्त, राम प्रकाश श्रीवास्तव, मो. यूसुफ, कलीमुद्दीन बेग, भोला राम आदि मौजूद रहे।

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