गुप्‍त गोदावरी- जो आज भी अबूझ पहेली बनी है

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Thursday, February 18, 2010

फांसी से बचने चित्रकूट आये थे सोमदत्त गिरि

चित्रकूट। राजसी वैभव की सच्चाई जब मालूम चली तो वैराग्य की राह पकड़ ली पर बाबा का आदेश था कि पहले पढ़ाई करो तो लंदन में जाकर डिग्री हासिल की। वहां से लौटते ही सुभाष बाबू और चंद्र शेखर आजाद से क्या मिलना हुआ, मानो लगा कि जीने की धारा ही बदल गई। अंग्रेजों के लिए कभी 'टारजन' नाम से खौफ का पर्याय माने जाने वाले 105 वर्षीय संत वेशधारी होल्कर घराने के वंशज सोमदत्त गिरि जब पुरानी यादों के पन्ने पलटाते हैं तो कुछ नयी कहानियों का जन्म हो जाता है।

उज्जैन से धर्मनगरी के भ्रमण पर आये सोमदत्त गिरि 'जागरण' से विशेष बातचीत में बताते हैं कि जब अंग्रेजों के राज में उन्हें फांसी की सजा हो गयी थी तब वे पहली बार साधु वेश में चित्रकूट आये थे। उस समय उनके साथ चंद्रशेखर आजाद, राम दास पांडरी, हजारी लाल महोबा, मुरारी लाल सूपा, रघुनाथ सिंह सेंगर नौंगाव व मान सिंह ग्वालियर सहित दो और लोग थे। यहां पर महलों वाला मंदिर परिक्रमा मार्ग, सिरसावन, स्फटिकशिला का श्मशान सहित तमाम ऐसी जगहें हैं जो उनका आश्रय स्थल बनी थीं। कहा कि तब के चित्रकूट में आज के चित्रकूट में काफी फर्क आ गया है। खाने की व्यवस्था गोदीन शर्मा, करवरिया परिवार व नयागांव के सेठ करते थे। उनकी टोली ने काफी दिनों तक महोबा के खोकर पहाड़, ओरक्षा के जंगल व सोनतलैया में शरण ली।
उन्होंने बताया कि उनका जन्म तत्कालीन होल्कर स्टेट के महाराजा सोवरन सिंह राणा के घर 25 अप्रैल सन् 1905 को इंदौर में हुआ था। बाद में पारिवारिक बटवारे में भांडेर की जागीर मिली। इस कारण पिता सबको लेकर भांडेर आ गये। उन्होंने बताया कि सनं् 1946 में खजुराहो की बावन इमली में उन्होंने व उनके साथियों ने मिलकर 52 अंग्रेजों को मार दिया था। इसलिये फरारी हालत में ही अंग्रेजों की अदालत ने उनको फांसी का हुक्म सुना दिया था। देश के आजाद होने पर उन्होंने सेना की नौकरी की व स्वतंत्रता संग्राम सेनानी का दर्जा मिला। सेना में नौकरी के दौरान चीन के साथ युद्ध में वीरता के कारण इनाम भी मिला, पर फिर श्री पंच दत्त नाम अखाड़ा के गुरु महाराज मनोहर दास के आदेश पर पूर्ण रूप से विरक्त जीवन जीना प्रारंभ कर दिया।
वे बताते हैं अब उनके जीवन का लक्ष्य केवल मानव कल्याण ही है। इसलिये उनके गुरु ने उनको जो सिद्धियां दी है उनका उपयोग वे मानव की असाध्य बीमारियां दूर करने में कर रहे हैं। अभी तक हजारों लोगों को असाध्य रोगियों को ठीक करने की बात कहते हैं।

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