गुप्‍त गोदावरी- जो आज भी अबूझ पहेली बनी है

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Thursday, February 18, 2010

सुन्दरीकरण के नाम पर बस मजाक


चित्रकूट। 'नया नौ दिन पुराना सौ दिन' कम से कम तीर्थ नगरी के रामघाट पर चल रहे पर्यटन विभाग से मिले सुन्दरी करण के काम को देखकर तो यही लगता है। जहां यहां पर हो रहे सुन्दरी करण के काम को लेकर कई बार नागरिक अधिकारियों के पास जाकर अपनी शिकायतें दर्ज करा चुके हैं वहीं दो तीन जांचों का रिजल्ट भी जीरो ही दिखाई देता है।

इस मामले में पूर्व सभासद अरुण गुप्ता, सभासद बाबा सिया राम दास सहित दर्जनों लोग कहते हैं कि बोर्ड में लिखे स्थानों का पता केवल अधिकारियों को ही है। आम लोग इनका पता नही जानते। कैनोपी का निर्माण असंगत है। क्योंकि हर साल की बाढ़ में तो इसका डूब जाना तय है और लाखों रुपयों का निर्माण अगर एक ही बाढ़ में बह गया तो फिर सरकार के पैसे की बर्बादी ही होगी। रामघाट के सुन्दरीकरण के नाम पर लगवाये जा रहे लाल पत्थर की भी क्वालिटी सही नही है। अभी पूरी तरह से पत्थर लगे नही है और इनमें टूटने की समस्या अभी से दिखाई दे रही है। परिक्रमा मार्ग पर भी बरहा के हनुमान जी के पास काम का स्तर अत्यंत घटिया है।
चरखारी मंदिर के महंत राजेन्द्र प्रसाद दीक्षित कहते हैं कि विभाग ने जबरन चार सौ साल पुराने बने इस पुरातात्विक महत्व के मंदिर की नींव ही खोद डाली और बुर्जो को काफी नुकसान पहुंचाया। अधिकारियों से शिकायत करने के बाद भी जब विभाग के अधिकारियों ने नही सुना तो फिर मजबूरन मुकदमा किया। अभी भी पिछले दिनों केंद्रीय राज्य मंत्री प्रदीप जैन आदित्य से शिकायत करने पर जांच तो हुई पर कोई राहत नही मिली। उन्होंने कहा कि बसुन्धरा राजे सिंधिया के कार्यकाल में 1991 में भी सुन्दरीकरण का काम किया गया था, वह काम तो आज तक दिखाई देता है। जहां एक तरफ मध्य प्रदेश क्षेत्र की तरफ नये-नये घाट बन रहे हैं और पुराने घाटों का जीर्णोद्धार हो रहा है। वहीं रामघाट में दस सालों से टूटी सीढि़यों की मरम्मत का काम तक नही कराया गया।

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