गुप्‍त गोदावरी- जो आज भी अबूझ पहेली बनी है

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Thursday, February 18, 2010

जब जवाहर लाल नेहरु ने निभाई थी रामलीला में भूमिका

चित्रकूट।   विशेष खबर  (संदीप रिछारिया) देश के स्वतंत्रता संग्राम में राम के चरित्र का क्या काम? पर वास्तव में राम के चरित्र को कभी लोगों के सामने प्रस्तुत करके ही देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु ने महात्मा गांधी के साथ हिंदुस्तान को आजाद कराने का काम किया था। यह कपोल कल्पना नही है बल्कि इलाहाबाद की राम लीला में उनके द्वारा सन् 1930 में निभाई गई भूमिका का चित्र उस सच्चाई को बयान कर देता है। राष्ट्रीय रामायण मेले के सभागार में संस्कृति विभाग द्वारा प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में होने वाली रामलीलाओं की जीवांत प्रस्तुतियों के चित्र इस बात का खुला सबूत देते हैं कि भले ही लोग इन्टरनेट का प्रयोग कर सारी दुनिया को अपनी मुट्ठी में कर चुके हैं पर तुलसी के राम का चरित्र आज भी प्रासंगिक ही है। रामलीलाओं में उमड़ती भीड़ के साथ हिंदू मुस्लिम की सहभागिता का यह मंच आज भी देश में साम्प्रदायिक सदभाव को बढ़ाने का काम कर रहा है। अयोध्या शोध संस्थान, तुलसी स्मारक भवन, अयोध्या से आये सुरेन्द्र साहू और सूर्य कांत पांडेय बताते हैं कि वास्तव में चित्रकूट ही वह स्थान है जहां पर राम लीला चित्र प्रदर्शनी लगाने की सार्थकता उन्हें दिखाई देती है। पिछले दो सालों में संस्थान ने प्रदेश की तीन रामलीलाओं को चित्रों में उतारकर भिन्न-भिन्न स्थानों में प्रदर्शित करने की मुहिम छेड़ी है। पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु द्वारा रामलीला के दौरान अभिनय किया जाने वाला चित्र तो विभाग की थाती है। यहां लगाई गई प्रदर्शनी में मैदानी रामलीला उरई के साथ ही रेश बाग लखनऊ की गंगा जमुनी तहजीब का दर्शन है। ये दोनो रामलीलायें लगभग डेढ़ सौ साल से अनवरत चल रही हैं और इन्हें हिंदू और मुसलमान प्रदशिर्त करते हैं। इसके साथ ही कानपुर देहात व प्रयाग की रामलीला के चित्र भी काफी सुन्दर हैं। उन्होंने बताया कि यहां पर हनुमान जी के चित्र भी काफी देशों के लाकर लगाये गये हैं। कंबोडिया, वियतनाम व इंडोनेशिया के साथ ही अपने देश ही अन्य सुदूर राज्यों में पूजा की जाने वाली मूर्तियों के चित्र हैं।

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