गुप्‍त गोदावरी- जो आज भी अबूझ पहेली बनी है

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Monday, March 29, 2010

चित्रकूट की भूमि पर आज से गूंजेगी लोकलय

चित्रकूट। अमराई में बौर की झीनी सुगंध और गोबर से लीपी भूमि के सोंधे सुवास में शनिवार से लोकलय का अनूठा कार्यक्रम शुरू होगा। इस खास कार्यक्रम में बुंदेलखंड के करीब सौ कलाकार 30 से भी अधिक विधाओं का प्रदर्शन करेंगे। इसमें कई लोक विधायें तो लुप्तप्राय हो चुकी हैं।

अखिल भारतीय समाजसेवा संस्थान का भारत जननी परिसर लोकलय समारोह के लिए तैयार है। यहां भाग लेने आये ग्रामीण परिवेश के कलाकार शुक्रवार को दिन भर अपनी प्रस्तुतियों को लेकर अभ्यास करते रहे रहे। मानिकपुर ब्लाक की संजो अपने साथियों के साथ जवारा नृत्य की तैयारियों में लगी रहीं, वहीं ज्योति और श्यामा भी कोलहाई और राई की खुशबू की तैयारी में व्यस्त दिखी। उधर अखिल भारतीय समाजसेवा संस्थान का भारत जननी परिसर भी देशी कलाकारों के नायाब हुनर का जलवा दिखाने के लिये रंग-रोगन कर तैयार किया जा रहा है। यहां पर तैयारियां देशी अंदाज में दिनभर चलती रहीं। समारोह में बुंदेलखंड की लोक कलायें जहां मंचित की जानी है, वहीं मंच की साज सज्जा भी खालिस बुंदेली शैली 'पुतरिया' के चित्रण से की गई है।
लोकलय समारोह के आयोजक अखिल भारतीय समाज सेवा संस्थान के संस्थापक गोपाल भाई व निदेशक भागवत प्रसाद कहते हैं कि इस बार कासमारोह पिछली बार की तुलना में काफी खास होने जा रहा है। बुंदेलखंड के सातों जिलों के कलाकार अपनी प्रस्तुतियां सीमित समय में देंगे। इस दौरान लगभग ढाई दर्जन लोक विधाओं को मंच पर प्रस्तुत किया जायेगा। ध्यान रहे कि अखिल भारतीय समाज सेवा संस्थान बुंदेलखंड की लोककलाओं को सहेजने व संव‌र्द्धन के लिए बीते कई वर्षो से लोकलय का आयोजन करता आ रहा है।

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