गुप्‍त गोदावरी- जो आज भी अबूझ पहेली बनी है

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Monday, March 29, 2010

लोकगीत विचारों के संप्रेषण का माध्यम : दद्दू प्रसाद

चित्रकूट। लोक संस्कृति की अनमोल परंपरा को अपने आपमें समेटे लोकलय समारोह का आगाज जितना शानदार हुआ उतना ही जोरदार अंजाम भी दिखा।

सूबे के ग्राम्य विकास मंत्री दद्दू प्रसाद ने कहा कि बुंदेलखंड के प्राण बुंदेलखंड के लोक गीतों में बसते हैं। यहां के गीतों में बुंदेली जीवन शैली और विविधताओं का समूचा दर्शन देखने को मिलता है। दद्दू प्रसाद ने कलाकारों का आह्वान किया कि वे अपने लोक गीतों के माध्यम से लोगों को नये पेड़ लगाने व पुराने पेड़ों की सेवा करने के साथ ही वर्षा जल संचयन का प्रयास करें। आगे नियमों में परिवर्तन कराकर यह प्रयास किया जायेगा कि मनरेगा के प्रचार-प्रसार में उनका सहयोग लिया जाये। इस दौरान उन्होंने लोक कलाकारों के साथ ही लोक मंगल के काम को आगे बढ़ाने वाले कलम के सिपाहियों को भी सम्मानित किया। सदर विधायक दिनेश मिश्र ने संस्थान की बाउन्ड्री बनवाने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि वास्तव में ऐसे आयोजन ही सामाजिक समरसता को बढ़ाने में सहयोगी हैं।
अखिल भारतीय समाज सेवा संस्थान के संस्थापक गोपाल भाई ने कहा कि कलाकारों के संरक्षण और लोक कलाओं का संवर्धन केवल एक कार्यक्रम को साल भर में आयोजित किये जाने से नहीं हो सकता। निदेशक भागवत प्रसाद ने आभार व्यक्त किया।
सहभागी शिक्षण केंद्र लखनऊ के अशोक भाई व लखनऊ के समाजसेवी संदीप मांझी ने बुंदेली लोक कलाओं को सर्वश्रेष्ठ कलायें घोषित करते हुये कहा कि इनका संरक्षण करना सबका दायित्व है। इस दौरान संगीत विशेषज्ञ डा. वीणा श्रीवास्तव, डा. प्रेम चंद्र, ललितपुर के समाजसेवी वासुदेव, महोबा के अभिषेक, नरैनी के राजा भैया, डा. ओपी सिंह, शिव चरन सिंह महोबा, रामेश्वर प्रसाद, उमा चतुर्वेदी ने भी अपने विचार रखे। इस दौरान कलाकारों ने भी अपनी-अपनी विधा के कार्यक्रम प्रस्तुत कर वाह-वाही बटोरी।

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