गुप्‍त गोदावरी- जो आज भी अबूझ पहेली बनी है

गुप्‍त गोदावरी- जो आज भी अबूझ पहेली बनी है

Monday, March 29, 2010

पर्यटन, पर्यावरण व खेलकूद को नहीं मिला धन

चित्रकूट। भले ही जन प्रतिनिधि यहां जनसभाओं में चित्रकूट को धर्म और पर्यटन का केंद्र बिंदु बताकर शासन से ज्यादा से ज्यादा योजनाएं दिलाने का वादा करते हों मगर हकीकत कुछ और ही है। दरअसल इस साल खेलकूद, पर्यटन और पर्यावरण संरक्षण की मद में धन ही नहीं मिला। हालांकि जिला योजना में हर साल प्रस्ताव पास कर भेजा गया मगर इन योजनाओं को शासन से पैसा नहीं मिला।

वर्तमान वित्तीय वर्ष में फरवरी तक 46 करोड़ तिरसठ लाख पचहत्तर लाख के सापेक्ष अब तक जिले के विभागों को कुल 19 करोड़ उनहत्तर लाख पचासी हजार रुपये मिल चुके हैं। इसमें से 16 करोड अनठानवे लाख छियासी हजार रुपये खर्च हुए हैं। फरवरी तक 86.24 प्रतिशत धनराशि खर्च की जा चुकी है।
अप्रैल 09 में कृषि विभाग, निशुल्क बोरिंग अनुदान, उद्यान विभाग,पशु पालन विभाग, दुग्ध विभाग, मत्स्य विभाग, वन एवं वन्य जीव, सहकारिता,एकीकृत ग्राम्य विकास विभाग, सुखोन्मुख कार्यक्रम, राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना, पंचायती राज्य, लघु सिंचाई, अतिरिक्त ऊर्जा स्रोत, खादी एवं ग्रामोद्योग, रेशम विकास, सड़क एवं पुल,पर्यावरण, पर्यटन, प्राथमिक शिक्षा, माध्यमिक शिक्षा, प्रादेशिक विकास दल, खेलकूद, चिकित्सा एवं जन स्वास्थ्य एलौपेथिक, होम्योपैथिक, नगरीय पेयजल आपूर्ति, ग्रामीण पेयजल आपूर्ति, ग्रामीण स्वच्छता कार्यक्रम, आवास, समाज कल्याण अनु. जाति, पिछला वर्ग कल्याण, अल्प संख्यक कल्याण, समाज कल्याण सामान्य वर्ग, सेवायोजन, आईटीआई, समाज कल्याण वृद्धावस्था व पारिवारिक लाभ, विकलांग कल्याण, महिला एवं बाल कल्याण व पुष्टाहार आदि विभागों के लिये बजट स्वीकृत किया गया था। इनमें से पुष्टाहार, महिला एवं बाल कल्याण, विकलांग कल्याण,समाज कल्याण वृद्धावस्था व पारिवारिक लाभ, समाज कल्याण सामान्य वर्ग, अल्प संख्यक कल्याण, पिछड़ा वर्ग कल्याण, समाज कल्याण अनुसूचित जाति, नगरीय पेयजल आपूर्ति, ग्रामीण पेयजल आपूर्ति, अतिरिक्त ऊर्जा स्रोत, सहकारिता, मत्स्य विभाग, निशुल्क बोरिंग अनुदान में अवमुक्त धन राशि का व्यय कर दिया गया है। जिला अर्थ एवं संख्याधिकारी ने बताया कि हर बार बजट में सभी विभागों के लिए धन का प्रस्ताव भेजा जाता है पर इनमें कुछ को बजट मिलता है तो कई को फूटी कौड़ी नही मिल पाती।

No comments:

Post a Comment